हड़प्पा पूर्वोत्तर
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक पुरातात्विक स्थल है। यह साहिवाल शहर से
20 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। सिन्धु घाटी सभ्यता के अनेकों अवशेष यहाँ
से प्राप्त हुए हैं। सिंधु घाटी सभ्यता को इसी शहर के नाम के कारण हड़प्पा
सभ्यता भी कहा जाता है।
1921 में जब जॉन मार्शल भारत के पुरातात्विक विभाग के निर्देशक थे तब दयाराम साहनी ने इस जगह पर सर्वप्रथम खुदाई का कार्य करवाया था। दयाराम साहनी के अलावा माधव स्वरुप व मार्तीमर वीहलर ने भी खुदाई का कार्य किया था।
हड़प्पा शहर का अधिकांश भाग रेलवे लाइन निर्माण के कारण नष्ट हो गया था।
हड़प्पा समाज और संस्कृति
हडप्प्पा संस्कृति की व्यापकता एवं विकास को देखने से ऐसा लगता है कि यह सभ्यता किसी केन्द्रीय शक्ति से संचालित होती थी। वैसे यह प्रश्न अभी विवाद का विषय बना हुआ है, फिर भी चूंकि हडप्पावासी वाणिज्य की ओर अधिक आकर्षित थे, इसलिए ऐसा माना जाता है कि सम्भवतः हड़प्पा सभ्यता का शासन वणिक वर्ग के हाथ में था।
हड़प्पा सभ्यता - कला का विकास
हड़प्पा सभ्यता की खोज भारतीय कला के इतिहास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसने भारतीय कला के विकास में एक गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ा है. हड़प्पाई स्थलों से प्राप्त चित्रित मृद्भांड (BSRW) ,कांस्य मूर्तियाँ ,पाषाण मूर्तियाँ आदि कलात्मकता की दृष्टि से उल्लेखनीय हैं. मुद्राओं पर हाथी ,बैल, गैंडा ,भैंसा , कुत्ता ,कछुआ आदि के चित्र प्राप्त हुए हैं. एक मुद्रा पर एक सींग वाले व्यक्ति का अंकन का है ,जिसके चारों ओर विभिन्न पशु हैं. इसे शिव का आदि रूप पशुपति माना गया है. एक मुद्रा पर एक योगी और एक फुंफकारते हुए सर्प का चित्रण है
सिंधु घाटी सभ्यता /हड़प्पा सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता ( IVC ) एक कांस्य युग सभ्यता थी (3300-1300 ईसा पूर्व; परिपक्व अवधि 2600-1600 बीसीई) मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज उत्तर पूर्व अफगानिस्तान पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत से है। प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया के साथ यह पुरानी दुनिया के तीन प्रारंभिक सभ्यताओं में से एक थी , और तीन में से सबसे अधिक व्यापक थी
1921 में जब जॉन मार्शल भारत के पुरातात्विक विभाग के निर्देशक थे तब दयाराम साहनी ने इस जगह पर सर्वप्रथम खुदाई का कार्य करवाया था। दयाराम साहनी के अलावा माधव स्वरुप व मार्तीमर वीहलर ने भी खुदाई का कार्य किया था।
हड़प्पा शहर का अधिकांश भाग रेलवे लाइन निर्माण के कारण नष्ट हो गया था।
हड़प्पा समाज और संस्कृति
हडप्प्पा संस्कृति की व्यापकता एवं विकास को देखने से ऐसा लगता है कि यह सभ्यता किसी केन्द्रीय शक्ति से संचालित होती थी। वैसे यह प्रश्न अभी विवाद का विषय बना हुआ है, फिर भी चूंकि हडप्पावासी वाणिज्य की ओर अधिक आकर्षित थे, इसलिए ऐसा माना जाता है कि सम्भवतः हड़प्पा सभ्यता का शासन वणिक वर्ग के हाथ में था।
हड़प्पा सभ्यता - कला का विकास
हड़प्पा सभ्यता की खोज भारतीय कला के इतिहास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसने भारतीय कला के विकास में एक गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ा है. हड़प्पाई स्थलों से प्राप्त चित्रित मृद्भांड (BSRW) ,कांस्य मूर्तियाँ ,पाषाण मूर्तियाँ आदि कलात्मकता की दृष्टि से उल्लेखनीय हैं. मुद्राओं पर हाथी ,बैल, गैंडा ,भैंसा , कुत्ता ,कछुआ आदि के चित्र प्राप्त हुए हैं. एक मुद्रा पर एक सींग वाले व्यक्ति का अंकन का है ,जिसके चारों ओर विभिन्न पशु हैं. इसे शिव का आदि रूप पशुपति माना गया है. एक मुद्रा पर एक योगी और एक फुंफकारते हुए सर्प का चित्रण है
सिंधु घाटी सभ्यता /हड़प्पा सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता ( IVC ) एक कांस्य युग सभ्यता थी (3300-1300 ईसा पूर्व; परिपक्व अवधि 2600-1600 बीसीई) मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज उत्तर पूर्व अफगानिस्तान पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत से है। प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया के साथ यह पुरानी दुनिया के तीन प्रारंभिक सभ्यताओं में से एक थी , और तीन में से सबसे अधिक व्यापक थी
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