तराइन का प्रथम 1191 मुहम्मद गोरी ने 1186 में गजनवी वंश के अंतिम शासक से लाहौर की गद्दी छीन ली और वह भारत के हिन्दू क्षेत्रों में प्रवेश की तैयारी करने लगा। 1191 में उन्हें पृथ्वी राज तृतीय के नेतृत्व में राजपूतों की मिलीजुली सेना ने जिसे कन्नौज और बनारस वर्तमान में वाराणसी के राजा जयचंद का भी समर्थन प्राप्त था। अपने साम्राज्य के विस्तार और सुव्यवस्था पर पृथ्वीराज चौहान की पैनी दृष्टि हमेशा जमी रहती थी। अब उनकी इच्छा पंजाब तक विस्तार करने की थी। किन्तु उस समय पंजाब पर मोहम्मद ग़ौरी का राज था। 1190 ई० तक सम्पूर्ण पंजाब पर मुहम्मद गौरी का अधिकार हो चुका था। अब वह भटिंडा से अपना राजकाज चलता था। तराईन का द्वितीय युद्ध 1192 तराइन के द्वितीय युद्ध के बाद ही भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना हुई थी तराइन का प्रथम युद्ध में पराजित होने के बाद मोहम्मद गोरी गजनी लोट गया इस पराजय से वह इतना दुखी हुआ था कि उसने खाना पीना भी छोड़ दिया था 1 वर्ष की तैयारी के बाद मोहम्मद गोरी ने विशाल सेना के साथ भारत की ओर प्रस्थान किया और 1192 ईस्वी में तराइन पहुंचा और उसी स्थान पर अपना शिविर ...